नीमच के शिल्पकार ने चांदी व तांबे से बनाई कोरोना योद्धा ट्राॅफी


नीमच। चांदी-सोने तथा अन्य धातु के टुकडे को सुन्दर आकार में आकृति देना उनके लिये सहज कार्य हो गया है। बात कर रहे हैं नगर के स्वर्ण शिल्पकार संजय वर्मा बसंत भाई वर्मा जो किसी भी व्यक्ति की कल्पना को साकार करने का चुनौतीपूर्ण दायित्व स्वीकारने के बाद धातुओं को आकर्षक कलाकृतिक बनाकर सभी को आष्चर्यचकित कर देते हैं। लाॅकडाउन के दौरान समय का सदुपयोग करते हुए और कोरोना योद्धाओं के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए शहर के स्वर्ण शिल्पकार संजय वर्मा ने कोरोना योद्धा ट्राॅफी बना दी। ये ट्राॅफी चांदी व तांबे से निर्मित है। इसमें उन्होंने कोरोना योद्धा डाॅक्टर्स, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी, पत्रकार व विभिन्न गैर सरकारी संगठनों आदि को चिन्हों के माध्यम से ट्राॅफी में दर्शाया है। संजय की इच्छा है कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ये ट्राॅफी भेंट करें। 

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      संजय वर्मा ने बताया कि लाॅकडान के दौरान जब वे घर प ही थे तब ही कुछ अद्भूत और कोरोना योद्धाओं को समर्पित कृति बनाने का ख्याल आया। इसी सोच से वे इसकी डिजाइन तैयार करने में लग गए। आखिर, डिजाइन अन्तिम रूप में पहुंची जिसमें उन्होंने पुलिस की कैप, अशोक चिन्ह, डाॅक्टर्स का स्टेथोस्केप, सफाईकर्मियों का झाडु, पत्रकारों की कलम, एनजीओ द्वारा जरूरतमंदों तक पहुंचाया गया राशन आदि को इस ट्राॅफी में दर्शाया है। सबसे नीचे कोरोना की आकृति है और उस पर विजय के प्रतीक के रूप में ये सब कोरोना योद्धा हैं। इसे बनाने में करीब 20 दिन का समय लगा।

पहले भी बना चुके हैं कलाकृति

वर्मा ने बताया कि इससे पूर्व भी कई कलाकृतियां बना चुके हैं। इनमें सांवरिया सेठ के मुकुट से लेकर आभूषण, प्रसिद्ध बांसुरीवादन हरिप्रसाद चौरसिया के लिए बनाई गई अफीम-डोडे पर सजी बांसुरी, जयपुर के हवामहल के झरोखे, चित्तौडगढ का विजयस्तंभ आदि शामिल है। चांदी की शिव जलाधारी की निपुणता सभी को शांति देती है। जैन संत के आग्रह पर सोने की सुन्दर एवं अनोखी इंकपेन की निब बना डाली। श्री वर्मा द्वारा बनाए गए अफीम के डोडे का स्मृति चिन्ह उनके नाम का पर्यायवाची हो गया है। 


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