आजाद भारत के लोकतंत्र में से शासकीय स्वास्थ सेवा से निराशा


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा (प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज (संपादक)

कानवन शंकर राठौड़ की रिपोर्ट
बदनावर विधानसभा के उपचुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस में जीत को लेकर उत्सुकता बनी हुई है परन्तु लोगों के स्वास्थ्य को लेकर प्रशासनिक ,स्वास्थ तंत्र अपनी निष्ठुरता का प्रदर्शन कर जनता कि जेब ढीली करेगा यह आजाद भारत के नागरिकों ने कभी नहीं सोचा होगा वर्तमान में कोराना संक्रमण कि रोकथाम में डाक्टरों की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून का दुर उपयोग कि कल्पना रोगी जन और परिजनों ने नहीं कि होगी दवाखाने में मरीजों की नब्ज को न सम्हालते हुए चार गए कि दूरी और मास्क का हवाला देकर मरीज को मर्ज कि बात पुंछ कर लेब में जांच कि पर्ची थमा रहा है।सामान्य बिमारियों का स्थानिय शासकीय दवाखानो में मेडिसिन ,बाटल शायरब ,मल्हम इंजेक्शन और डाक्टर वर्कर जनहित उपलब्ध नहीं हो रहे हैं । देश कि पार्यलामेंट में देश की जनता के स्वास्थ्य को लेकर करोड़ों का राशि सर्वार्थ विभाग को एलाट कि जाती है।उसके बाद भी हमारे बदनावर विधानसभा क्षैत्र के मरीजों को इलाज के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है। लोकतंत्र की दुहाई में प्रशासन और शासन बदनावर विधानसभा कि जनता के स्वास्थ्य को लेकर चिंता कर स्वास्थ विभाग कि सुविधा कि और ध्यान देना चाहिए।
 

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