प्राचीन भारतीय सम्पदा का बोध धेनु ही धर्म-साध्वी ऋतंभरा


डॉ. उमेशचंद्र शर्मा (प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज (संपादक)




कवि मुकेश मोलवा द्वारा रचित गौ ग्रन्थ अलौकिक कृति

गंधवानी महेश सिसोदिया की रिपोर्ट
मोरपंखधारी कान्हा नंगे पैर जिस माँ के लिए भटकते रहे, जो माँ ऋषियो द्वारा सेवित है, मुनियों द्वारा पूजित है, ऐसी धेनु माता के लिए जो हमारी प्राचीन सनातन सम्पदा का बोध कराती है ऐसी अलौकिक कृति धेनु ही धर्म है जिसे पढ़कर भारतीयों के चित्त में गौ भक्ति प्रबल होगी, सनातन के मूल्यों में गौ तत्व की महत्ता का यह काव्य ग्रन्थ विलक्षण है उक्त उदगार वृंदावन के वात्सल्यग्राम में साध्वी ऋतंभरा जी ने कवि मुकेश मोलवा के द्वारा लिखे ग्रन्थ के विमोचन अवसर पर कहे। 


पुरुषोत्तम मास में गौ ग्रन्थ के विमोचन को सत्यप्रिया दीदी ने सौभाग्यशाली बतलाया, इस अवसर पर बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक सोहन सोलंकी ने कहा कि धेनु हमारे राष्ट्रीय महत्व के साथ आध्यात्मिक धरोहर है गौ के प्रसंगों का एक जगह काव्यात्मक उद्धरण गौरवशाली है। 
वेदो पुराणों स्मृतियों आर्ष ग्रन्थो में निहित गौ से जुड़े सन्दर्भ अवतारी पुरुषों, ऋषियो मुनियों के कथन, देवो के द्वारा कामधेनु का स्तवन, समुद्र मंथन से लेकर गोदावरी की उत्तपत्ति एवं राम से लेकर कृष्ण के साथ ही बप्पा रावल, गोगादेव, तेजाजी की गौभक्ति पञ्चगव्य भारतीय गौ नस्ल आदि का वर्णन धेनु धर्म मे कर कवि ने गहन शोध किया है।।
इस अवसर पर डॉ अर्पण जैन, कपिल शर्मा, शुभम मुकाती रामेश्वर राठौड़ आदि उपस्थित रहे।

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