कोराना महामारी के अन्तर्गत समानान्तर कानुन लागू नहीं होने से जनता में असंतोष


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा (प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज (संपादक)
कानवन शंकर राठौर की रिपोर्ट
भारत सरकार के द्वारा कोराना महामारी के चलते कोविड -19 के अन्तर्गत कोराना संक्रमण कि चैन को तोड़ने के लिए प्रतिबंधात्मक कानुन कि धारा 1973 के आदेश में धारा 144 ,188 के अन्तर्गत समानता कि कार्रवाई के आदेश जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन व प्रशासनिक अधिकारियों को प्राप्त है। परन्तु लोकतंत्र में कार्यवाही को लेकर प्रशासन की रिती नीति में पक्षपात प्रकट होना आम जनता के लिए कृष्ट दायक हो कर जनता और प्रशासन के लिए आपस में टकराव के निहित है। कोराना महामारी के अन्तर्गत समानान्तर कानुन पुरे देश के लिए लागू किया गया । व्यवस्था को चलाने के  लिए ढील देना प्रसंसा योग्य है परन्तु  कलयुग के राजनैतिज्ञ भगवान के लिए छुट देना और धार्मिक,सामाजिक पारम्परिक आयोजन को प्रति प्रशासन के द्वारा कोराना महामारी के अन्तर्गत प्रतिबंधित कानून का उपयोग करना पक्षपात कि नियत को उजागर कर विवाद का नया विषय खड़ा करना अपने ही देश में आजादी की लड़ाई लड़ने जैसा प्रतित होता है । वस्तुस्थिति के अनुसार कोराना महामारी के अन्तर्गत समानान्तर से कानुन का उपयोग कर जनहित में ठोस निर्णय लेकर कोराना संक्रमण, मलेरिया ,डेंगू ,बुखार, जैसी अनेक बिमारियों से बचने के लिए ठोस उपाय किए जाने के लिए शासन को स्वास्थ मंत्रालय के माध्यम से सुविधा उपलब्ध करा कर लोगों की सुरक्षित करने के उपाय किए जाना ही उपयुक्त है।

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