डॉ.उमेशचंद्र शर्मा (प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज (संपादक)
किसान आंदोलन के समर्थन में अलीराजपुर जिला रहा पूर्णतःसफल बंद
अलीराजपुर सुरेंद्र वर्मा की रिपोर्ट
हमारे जिले का किसान बहुत गरीब एवं अज्ञानी हैं, देश में क्या चल रहा उन्हें कोई जानकारी नहीं है,परन्तु आज का युवा किसान पुत्र जरूर यह जनता हैं कि वर्तमान में भारत सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों का विरोध देशभर में किया जा रहा है क्योंकि लाए गए तीनों कृषि विधेयक 2020 किसानों के हितों में ना होकर निजीकरण को बढ़ावा देने वाले विधेयक हैं,इस कारण से संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा इकाई अलीराजपुर के साथ ही युवाओं ने कृषि विधायकों का विरोध दर्ज कर निरस्त करने की मांग करते हैं ,जिला मुख्यालय पर महामहीम राष्ट्रपति के नाम से कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा, जिसे अनुविभागीय अधिकारी ने प्राप्त कर शासन स्तर पर किसानों के हित में अग्रेषित करने का आश्वाशन दिया।ज्ञापन के दौरान संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा के मुकेश रावत ने कहा कि आवश्यक वस्तुओं संशोधन विधेयक 2020 लागू किया जा रहा है जो कि इसके पूर्व 1955 आवश्यक वस्तु कानून लाया गया था जिसमें आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी रोकने का प्रावधान था किसी सामान को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट में जोड़ने का मतलब है कि सरकार उस वस्तु की कीमत,उसका उत्पादन,जिसकी सप्लाई पर नियंत्रण किये जाने का प्रावधान है,जैसे कि अक्सर प्याज और दालों के दाम बढ़ाने पर देखा गया है, कृषि विधेयक 2020 कानून के तहत अनाज, दलहन, आलू, प्याज, तिलहन एवं तेल की सप्लाई पर अति साधारण परिस्थिति में ही सरकार नियंत्रण लगाएगी जिससे उक्त वस्तुओ की व्यापारी द्वारा जमा करके रखा जावेगा।यह विधायक व्यापारियों को स्टॉक करके रखने का अधिकार देने वाला बिल है,आशंका है कि किसानों से व्यापारी सस्ते एवं कम दामों फसल खरीदेंगे एवं स्टॉक करके महंगे दामों पर आम आदमी को बेचेंगे।जिससे निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा तथा व्यापारियों का किसानों की फसल से लेकर बाजार तक पर कब्जा हो जाएगा। इसलिए हम उक्त विधेयक को निरस्त करने की मांग करते हैं।विक्रम सिंह चौहान ने कहा कि कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण विधेयक) 2020 एपीएमसी यानी एग्रीकल्चर लाइव स्टॉक मार्केट कमिटी को सरल भाषा में मंडी कहते हैं,मंडी में उत्पादन बेचने पर राज्य सरकारे व्यापारियों से टैक्स लेती है और मण्डियों का संचालन करती है,ओर सरकारी खरीद भी इन्हीं मंडियों से होती है, हर राज्य में इन से जुड़ा एपीएमसी एक्ट होता है,नए कानूनों में अब मंडी की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है, जिससे व्यापारी मंडी में बिना टैक्स चुकाए एक जिले से दूसरे जिले एवं राज्य से दूसरे राज्य में अपने स्टाफ को बाहर निकाल कर मनमर्जी से बेच सकेंगे।जबकि पूरे देश में खरीदी बिक्री का नियम ला रहे हैं तो निजी क्षेत्र में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य क्यों नहीं कर सकते हैं इस कारण से हम किसान विरोधी विधेयक का विरोध कर निरस्त करने की मांग करते हैं।अरविंद कनेश ने कहा कि कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक 2020 का विरोध इसलिए करते हैं कि इस बिल से पहले भी किसान और व्यापारी में एग्रीमेंट होता था, लेकिन ऐसा कानूनी तरीका नहीं था कि सबसे पहले शिकायत कहां करें? मतलब किसान और व्यापारी थाने में भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते थे,और सीधे कोर्ट में केश दर्ज करा सकते थे। परंतु नए कानून के मुताबिक फसल की ओनरशिप किसान के पास रहेगी और उत्पादन के बाद व्यापारी अपने हिसाब से फसल की कीमत तय कर उत्पादन सस्ते कम दामों में खरीदेगा।जिसके विरोध में किसान सीधे कोर्ट की शरण में भी नहीं जा सकेगा।व्यापारी और किसान के विवाद के निपटारे का तरीका भी गलत है क्योंकि शिकायत निराकरण की समय सीमा भी तय नहीं है।किसान इतना समझदार नहीं है, कि वह खुद केश लड़ सके। जबकि कंपनी या व्यापारी अपना वकील खड़ा करके मामलों को उलझा सकते हैं,और लंबे समय तक कोर्ट के चक्कर में परेशान किया जाएगा इस कारण से उक्त विधेयक का विरोध कर निरस्त करने की मांग करते हैं।किसान एवं खेडुद चेतना संगठन के संयोजक भाई शंकर तड़वाल कहते हैं कि सरकार जो कानून लाई है वो बिहार राज्य में 2006 से जारी है, बिहार में बाहर खरीद शुरू होने से मंडिया अस्तित्वहीन हो गई है कॉर्पोरेट व्यापारियों के कारण किसानों को भटकना पड़ रहा है।केवल एक प्रतिशत किसान ही फसल समर्थन मूल्य में बेच पा रहा है। यह कानून छोटे व्यापारियों एवं किसानों के हित में नही हैं। इस अवसर पर किसान दरसिंह,भागीरथ,जागरिया,रोहित, रितु लोहारिया संदीप वास्केल,ओंकरसिंह,कपसिंह, डुंगरिया,सुरेश सेमलिया, राजेन्द्र चौहान, विक्रम रावत, नन्दला,कालू एवं रमेश डावर आदि उपस्थित रहे हैं। जय आदिवासी युवा शक्ति जयेश ने पूरे जिले में किसान आंदोलन का समर्थन किया
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