किसानों के समर्थन में जिला कांग्रेस ने भारत बंद का किया समर्थन,जिला रहा बंद


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा (प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज (संपादक)

राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर मोदी सरकार के तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की

आलीराजपुर सुरेंद्र वर्मा की रिपोर्ट
केंद्र सरकार द्वारा नए कृषि विधेयक बिल को देशभर में लागू करने के विरोधस्वरूप मंगलवार को किसानों के समर्थन में जिला कांग्रेस कमेटी ने भारत बंद का समर्थन किया। इस दौरान संपूर्ण आलीराजपुर जिले के नगर और कस्बे बंद रहे।जिला कांग्रेस अध्यक्ष महेश पटेल के नेतृत्व में राष्ट्रपति के नाम अपर कलेक्टर सुरेशचंद्र वर्मा को कांग्रेस नेताओं ने ज्ञापन सौंपा।इस दौरान जिला कांग्रेस कार्यवाहक अध्यक्ष ओमप्रकाश राठौर,पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष राधेश्याम माहेश्वरी,उपाध्यक्ष प्रकाशचंद्र जैन,कोषाध्यक्ष सुमेरसिंह अजनार, विधायक प्रतिनिधि खुर्शीद अली दिवान, अनिल थेपडिया, राजेश चौधरी, अनिल श्रीवास्तव, सुरेश परिहार, इरफान मंसूरी, राहुल राठौड सहित कांग्रेस नेता व कार्यकर्ता मौजूद थे।क्या है ज्ञापन में सौंपे गए ज्ञापन में बताया गया कि मोदी सरकार ने देश के किसान खेत और खलिहान के खिलाफ एक घिनौना षडयंत्र किया है। केन्द्र की भाजपा सरकार तीन काले कानूनों के माध्यम से देश की हरित क्रांति को हराने की साजिश कर रही है। देश के अन्नदाता व भाग्यविधाता किसान तथा खेत मजदूर की मेहनत को चंद पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने का षडयंत्र किया जा रहा है।आज देश भर में 62 करोड़ किसान- मजदूर व 250 से अधिक किसान संगठन इन काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उनकी सरकार सब ऐतराज दरकिनार कर देश को बरगला रहे हैं।अन्नदाता किसान की बात सुनना तो दूर,संसद में उनके नुमाईंदों की आवाज को दबाया जा रहा है और सड़को पर किसान मजदूरों को लाठियों से पिटवाया जा रहा है।संघीय ढांचे का उल्लंघन कर, संविधान को रौंदकर,संसदीय प्रणाली को दरकिनार कर तथा बहुमत के आधार पर बाहुबली मोदी सरकार ने संसद के अंदर तीन काले कानूनों को जबरन तथा बगैर किसी चर्चा व राय मशवरे के पारित कर लिया है।यहाॅ तक कि राज्यसभा में हर संसदीय प्रणाली व प्रजातंत्र को तार-तार कर ये काले कानून पारित किए कए।कांग्रेस पार्टी सहित कई राजनैतिक दलों ने मतविभाजन की मांग की,जो हमारा संवैधानिक अधिकार है।62 करोड़ लोगों की जिंदगी से जुड़े काले कानूनों को संसद के परिसर के अंदर सिक्योरिटी गार्ड लगाकर,सांसदों के साथ धक्का-मुक्की कर बगैर किसी मतविभाजन के पारित कर लिया गया।देश के किसान-खेत मजदूर-मंडी के आढ़ती-मंडी मजदूर- मुनीम- कर्मचारी-ट्रांसपोर्टर व लाखों करोड़ों लोगों के ऐतराज इस प्रकार है।पहला-कृषि उपज खरीद व्यवस्था पूरी तरह नष्ट हो जाएगी।ऐसे में किसानों केा न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा और न ही बाजार भाव के अनुसार फसल की कीमत।किसान की फसल को दलाल औने-पौने दामों पर खरीदकर दूसरे प्रांतों की मंडियों में मुनाफा कमा बेच देंगे।अगर पूरे देश की कृषि उपज मंडी व्यवस्था ही खत्म हो गई,तो इससे सबसे बड़ा नुकसान किसान-खेत मजदूर को होगा और सबसे बड़ा फायदा मुट्ठीभर पूंजीपतियों को।
 

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