रेल्वे में नौकरी लगवाने के नाम पर 1,50,000 रुपये की ठगी करने वाले को 1 वर्ष की सजा


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा(प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज(संपादक)

 जबलपुर~[अरण्यपथ न्यूज़ नेटवर्क म.प्र/छ.ग]~ न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जबलपुर के द्वारा आरोपी अमर सिंह राजपूत निवासी तिलहरी थाना केन्ट के अपराध क्रमांक 405/2016 धारा 420 भादवि में 1 वर्ष का साधारण कारावास एवं 5000/- रूपये जुर्माने से दंडित किया गया।फरियादी ने वेस्टर्न सेंट्रल रेलवे ग्रुप डी के पद पर भर्ती होने के लिये परीक्षा दी थी जिसमें उसके कम प्राप्तांक के कारण नियुक्ति नहीं हो रही थी,अभियुक्त की वेस्टर्न सेंट्रल रेल्वे में काफी अच्छी पहचान थी, जिस पहचान का फायदा उठाकर अभियुक्त ने फरियादी को नौकरी दिलवाने का आश्वासन दिया था।अभियुक्त द्वारा फरियादी से कहा गया कि उसे 1,50,000 रुपये देने होंगे, अभियुक्त पर भरोसा करके फरियादी और उसके पिता ने अभियुक्त अमर प्रजापति को नौकरी लगवाने के नाम पर 1,50,000 रुपये नगद दिए थे और एक वीडियो भी सुरक्षा बतौर बना लिया था। फरियादी द्वारा काफी समय तक नियुक्ति आदेश का इंतजार करने पर जब अभियुक्त नौकरी लगवाने की बात को टालता रहा तो फरियादी ने उससे 1,50,000 रुपये वापस मांगे तो अभियुक्त ने 75000 रुपये के दो चैक क्रमांक 000133 दिनांक 10/03/2016 को 25,000 एवं चैक क्रमांक 000134 दिनांक 12/03/2016 को 50,000 रुपये सेंट्रल बैंक बिलहरी शाखा एवं शेष बची 75,000 अदा करने का आश्वासन दिया। फरियादी ने जब उक्त दोनों चैक पंजाब नैशनल बैंक के खाते में प्रस्तुत किए तो दोनों चैक वापस हो गए। तब फरियादी द्वारा उक्त घटना की सूचना थाना केन्ट में देने पर रिपोर्ट लेख करायी। जिस पर थाना केन्ट के अपराध क्रमांक 405/2016 धारा 420 भादवि का मामला पंजीबध्द कर विवेचना में लिया गया। विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। जिला अभियोजन अधिकारी अजय कुमार जैन के मार्गदर्शन में अभियोजन की ओर से श्रीमती ज्योति शर्मा सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी के द्वारा मामले में सशक्त पैरवी की गई। मामलें में कुल 04 साक्षियो को परीक्षित कराया गया।श्रीमती ज्योति शर्मा सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी के तर्को से सहमत होते हुए न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जबलपुर के द्वारा आरोपी अमर सिंह राजपूत निवासी तिलहरी थाना केन्ट के अपराध क्रमांक 405/2016 धारा 420 भादवि में 1 वर्ष का साधारण कारावास एवं 5000/- रूपये जुर्माने से दंडित किया गया।



 

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