विधवाओं को नहीं मिल रही पेंशन कई चक्कर काटने के बाद भी सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है।


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा(प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज(संपादक)

खवासा~[सुनील सोलंकी अरण्यपथ]~ वैसे केंद्र सरकार और राज्य सरकार कई योजनाएं संचालित तो कर रही है,लेकिन धरातल पर इसका पात्र व्यक्तियों को कितना लाभ मिलता है। यह अलग बात है,मामला थांदला जनपद की ग्राम पंचायत भामल का है,जिसमें कल्याणी व निराश्रित को 3 साल से पेंशन नहीं मिल रही है,पूर्व में सहकारी संस्था भामल में ऑफलाइन पेंशन मिलती थी लेकिन वहां से महिलाओ के खाते कियोस्क बैंक में किए गए लेकिन वहां जाते हैं,तो कहते हैं। कि तुम्हारे खाते में राशि नहीं है।पंचायत में जाकर कहो वहां से फिर आते हैं,पंचायत में कहते हैं।तो जवाब मिलता है, राशि जमा हो जाएगी निराश्रित का कहना है,अब हम कहां जाएं हमारी कौन सुनेगा हमारी पीड़ा किसको सुनाएं।
"इनको नही मिली पेंशन"
-------------------------------------------कतु बाई मईड़ा(बेवा) मोतली पति हीरा मईड़ा 
हीरा पिता संतरा मईड़ा, वृद्धा पेंशन रमतू मईड़ा(बेवा) मेता डाबी(बेवा) ग्राम भामल के फलिया ढोलखरा आदि के साथ कई पात्र लोगों को पेंशन नहीं मिल रही है,अब कहां है, सरकार की योजना स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ रही है। बुजुर्ग आज भी परेशान होते हुए दिखाई दे रहे हैं।कभी पंचायत तो कभी बैंक में पैसे के लिए दौड़ लगा रहे हैं,लेकिन पैसे नहीं मिल रहे हैं,एक तरफ सरकार योजना का लाभ लेने के लिए आम जनता तक योजनाओं का गुणगान गाते हैं,लेकिन उक्त योजना के लिए कितनी चप्पल गिस रहे है। उससे इन अधिकारियों को कोई लेना- देना नहीं है,
सहायक सचिव कौन है, ग्रामीणों को पता ही नहीं पंचायत पर लगा रहता है ताला..!
ग्रामीणों ने बताया हम कई बार पंचायत पर गए लेकिन हमें सिर्फ वहां ताला लटका हुआ मिला कभी कभार अगर पंचायत हमें खुली मिली तो वहां कंप्यूटर आदि नहीं है,वहीं पूर्व में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सभी पंचायत में एक एलईडी लगाने के आदेश हुए थे,वह एलईडी भी पंचायत से गायब हो गई है, हमारे सूत्रों से जानकारी मिली कि एलईडी सरपंच के घर शोभा बढ़ा रही है। वहीं पंचायत गए हमने पूछा कि सहायक सचिव कौन है। तो कोई कहता है,गज्जू चरपोटा कोई कहता है, मुकेश निनामा लेकिन सहायक सचिव कौन है,और कोन कार्य देख रहा है।ग्रामीण यह कहते हुए देखे गए वही सहायक सचिव का कार्यभार मुकेश निनामा देख रहा है,जबकि मुकेश निनामा पंचायत में कोई भी अधिकृत कार्य करने के लिए आधिकारिक तौर पर नहीं है।
वही मामले को लेकर जब जिला पंचायत सीईओ सिद्धार्थ जैन से संपर्क करने की कोशिश की गई पर उनसे संपर्क नहीं हो पाया।




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