स्कूल खुल गए लेकिन शुद्ध पेयजल की व्यवस्था ही नहीं बच्चे पानी के लिए होते परेशान।


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा(प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज(संपादक)

मामला खवासा बालक संकुल के अधीन नरसिंगपाड़ा मिडिल स्कूल का।

खवासा ~[सुनील सौलंकी अरण्यपथ न्यूज़]~ कोरोना के चलते पिछले डेढ़ साल से स्कूल बंद थे, अभी स्थिति सामान्य होने पर प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल खुल गए है।लेकिन आसपास के कई स्कूलों में अब तक बच्चों को पीने के पानी के लिए शुद्ध पानी की व्यवस्था नहीं की गई है। जिससे आज भी बच्चे पानी के लिए मोहताज होते हुए नजर आते हैं। प्रदेश के मुख्यमन्त्री शिवराज जी कह रहे हैं कि कहीं भी पानी की कमी के साथी बच्चों के स्कूल एवं गुणवत्ता में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी लेकिन आज भी कई जगह स्कूलों में बच्चों को शुद्ध पानी मुहैया नहीं हो पा रहा है, कुछ ऐसा ही मामला खवासा बालक संकुल के अंतर्गत नरसिंहपाड़ा मिडिल स्कूल में सामने आया जहां पर कुछ माह पहले ही पीएचई विभाग ने ठेकेडर के माध्यम से यहां दो पानी की टंकिया लगाई गई है,एक दो साल पहले भी लगाई थी उसका आज तक उपयोग ही नही हुआ तो साथ यहाँ एक हैंडपम्प लगा हुआ जिसमें एक फेस की मोटर भी डाल रखी है।लेकिन विधुत कनेक्शन नही होने के कारण बन्द पड़ा हुआ है। साथ ही दो टंकी भी ऊपर फिट कर रखी है,लेकिन यह टंकिया मात्र शोपीस बनी हुई है,यहां पर जितनी लागत से टंकियां बनाई गई है सिर्फ दिखावटी के लिए ही दिखाई दे रही है,यहां विधुत कनेक्शन नहीं होने के कारण हेडपंप में लगी मोटर बंद पड़ी हुई है।जानकारी रखने वाले तो यह तक बताते हैं कि स्कूल द्वारा पीएचई विभाग को अनापत्ति प्रमाण पत्र भी दिया गया है जिसमें कागजों में तो दर्शा दिया गया कि मोटर वह पानी की टंकी से बच्चों को पिलाया जा रहा है,लेकिन धरातल पर सब कुछ उलट बताने वाले बताते हैं कि संस्था द्वारा अभी तक कनेक्शन का कोई प्रारूप तैयार ही नहीं किया गया जिसके कारण यहां कनेक्शन नहीं दिया गया है। तो वही बात यह भी निकल कर आ रही है,कि विधुत कनेक्शन लेने के लिए माध्यमिक स्कूल के पास इसका बजट ही नहीं आता है, जिसके मोटर बन्द पड़ी हुई है।जिससे बच्चों को यहां का शुद्ध पानी नसीब नहीं हो रहा है।स्कूल में हेड पंप तो है लेकिन पानी की कमी बरकरार है। पुष्पांजल जाती सिंगाड कक्षा 7वी शैलू मईड़ा 8वी एवं सीताराम जाती सिंगाड 6 टी आदि बच्चो ने बताया की यहां नजदीक से ही रोड बनाने वाली कंपनी के पानी के टैंकर ट्यूबल से भर कर निकलते है। तो हम उस में से पानी भर लेते हैं।हमारे यहां हेडपंप में मोटर बंद है। साथ ही विद्युत व्यवस्था भी नहीं है, जिसके कारण हमें यहां टंकि से पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।एक तरफ सरकार शिक्षा व्यवस्था में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी का ढिंढोरा पीट रही है।लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।जिसके कारण बच्चों को आज भी स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा है, वह पानी के लिए दूसरों पर निर्भर होना पड़ रहा है। जबकि स्कूल में पर्याप्त मात्रा में हैंडपंप लगा हुआ है।हैंड वॉश यूनिट भी बनी हुई है,लेकिन उसमें भी नल गायब है।

इनका कहना है।
ऐसमडीसी से ही विद्युत कनेक्शन लिया जा सकता है, और इनको तो हर साल मेंटेनेंस राशि दी जाती है, उससे ही कनेक्शन लिया जा सकता है विभाग अलग से कोई बजट जारी नहीं करता है।
पीएन अहिरवाल बीओ थांदला

लाइट की व्यवस्था नहीं होने के कारण बंद है।जैसे ही विभाग बजट जारी करेगा तो शुरू किया जाएगा।
योगेश मोदी खवासा बालक संकुल प्रभारी


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