रन्नी में उप स्वास्थ्य केंद्र अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा" जिम्मेदारों का संरक्षण ऐसा की बिना रख-रखाव व मेंटेनेंस के ही हो रही राशि आहरण


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा(प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज(संपादक)

खवासा ~[ सुनील सोलंकी अरण्यपथ]~ सरकार शिक्षा व स्वास्थ्य में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी का दावा करती है। लेकिन सरकार की पकड़ प्रशासन पर नहीं रख पा रही है,नतीजन स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर विभाग के अधिकारी चांदी काट रहे हैं, वही बिना रखरखाव के भी भ्रष्ट राशि आहरण कर रहे हैं।और जवाबदार कमीशन खोरी के साथी सब देखकर भी अनदेखी कर रहे हैं, ऐसा ही एक मामला खवासा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीन उप स्वास्थ्य केंद्र रन्नी का सामने आया है, रन्नी उप स्वास्थ्य केंद्र में एनएनएन तो पदस्थ है, लेकिन कभी आती है, तो कभी नहीं आती है,और उप स्वास्थ्य केंद्र के ऊपर हमेशा ताला लगा हुआ रहता है। यहां पदस्थ बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता (एमपीडब्ल्यू) डामर साहब पदस्थ हैं, वह भी अटैचमेंट में है, यहां के उप स्वास्थ्य केंद्र में ना तो दवाई है। ना तो इसका मेंटेनेंस हो पाया है। और ऊपर से छत से प्लास्टर भी गिर रहा है, सिर्फ दो कमरों में ही उप स्वास्थ्य केंद्र धरातल पर चल रहा है, ना तो वहां कुर्सी की व्यवस्था है, ना कोई रिकॉर्ड की व्यवस्था है। और ना ही कोई अलमारी है। जबकि शासन के माध्यम से प्रतिवर्ष इसके रखरखाव की राशि भी मुहैया कराई जाती है। राशि के साथ ही कुछ सामग्री खरीदने के भी नियम होते हैं, लेकिन 3 साल से यह भवन अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। वह यहां बिना आए ही जवाबदारो को कमीशन दे कर बिना किसी सामग्री खरीदी वह मेंटेनेंस के राशि आरण प्रतिवर्ष कर ली जाती है। यहां पदस्थ (एमपीडब्ल्यू) फील्ड वर्कर का भी काम करते हैं, इसलिए यहां समय पर सेवा नहीं दे पा रहे हैं।
आखिर 2 से 3 वर्ष तक क्यो नही किया गया इसका मेन्टेन्स और क्यों नहीं हुई भवन की रंगाई पुताई।
रन्नी के ग्रामीणों का कहना है।कि यहां ना तो कभी हमें डॉक्टर साहब नजर आए ना ही कोई जिम्मेदार अधिकारी हम जब भी जाते हैं। यहां सिर्फ ताला लगा हुआ रहता है। यहां जो पदस्थ सर् है वह फील्ड वर्कर में अधिक रहते हैं, इसलिए यहां के ग्रामीणों को सही और उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है, एनएनएम पेटलावद से अप डाउन करती है। वह भी कभी-कभी ही आती है। ग्रामीणों ने बताया कि यहां 2 साल पहले सिर्फ इस भवन की रंगाई पुताई की गई थी उसके बाद इस भवन के ऊपर आज तक कोई नाम भी दर्ज नहीं है। जबकि हर जगह भवन पर रंगाई पुताई के साथ उनका नाम भी लिखना अनिवार्य है। क्या जिले के कलेक्टर साहब इस ओर ध्यान देंगे ताकि ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान किया जा सके यहां पदस्थ (एमपीडब्ल्यू) मिथ्यास डामर का कहना है, कि मैं तो यहां अटैचमेंट हूं और मैंने यहां का अभी तक चार्ज नहीं लिया है। पूर्व में यहां के सुपरवाइजर प्रवीण गोड वह मुकेश पाटीदार की देखरेख में इस भवन की मरम्मत की गई थी तब से इस भवन पर अभी तक ना तो मरम्मत की गई है। केंद्र में बैठने की व्यवस्था तक नहीं है, मैंने उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया है और इस खाते का संचालन कौन करता है। मुझे नहीं मालूम पूर्व में 2017-18 में इसका मेंटेनेंस के साथ ही कलर किया गया था लेकिन 2 वर्ष के बाद अभी तक कोई मेंटेनेंस नहीं किया गया है, मैं जब यहां आया था तो यहां तो टेबल कुर्सी टूटी अवस्था में पड़ी हुई थी मुझे तो यहां कोई नवीन सामग्री दिखाई नहीं दी गई अब इस खाते का संचालन अभी पूर्व में पदस्थ बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता (एमपीडब्ल्यू) मुकेश पाटीदार के अधीन ही चल रहा है।वही मामले को लेकर जब (एमपीडब्ल्यू) बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता पूर्व में पदस्थ मुकेश पाटीदार से जानकारी लेना चाहि तो उन्होंने बताया कि हम तो कब से कह रहे हैं, डामर सर को कि आप चार्ज ले लो लेकिन डामर साहब चार्ज लेना नहीं चाहते है,तो इसमें हमारी क्या गलती पूर्व में जो सामग्री खरीदी थी वह कहां है, के जवाब में पाटीदार ने चुप्पी साध ली और वह सामग्री कहां है मुझे नहीं पता।

इनका कहना है। 
मैं कलेक्टर साहब की वीसी(मीटिंग) मैं बैठा हूं आप जानकारी बीएमओ साहब से ले लो
जयपालसिंह ठाकुर सीएचएमओ झाबुआ

वही मामले को लेकर जब थांदला बीएमओ अनिल राठौड़ से मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाना मुनासिब नहीं समझा


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