अति प्राचीन वनेश्वर बाबा रामदेव मंदिर ग्राम टिमरवानी में पीने के पानी व विद्युत समस्या का भक्तों को सामना करना पड़ता है।


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा(प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज(संपादक)

थांदला~[गोपाल प्रजापत अरण्यपथ न्यूज] ~ आदिवासी बाहुल्य अंचल के थांदला तहसील ग्राम टिमरवानी में प्राचीन कालीन श्री वनेश्वर बाबा रामदेव मंदिर चेतन पुरी धाम में स्थित है महाराजा उदय सिंह के कार्यकाल के समय मंदिर निर्माण कार्य चरण पादुका के रूप में किया गया था बताया जाता है कि प्राचीन काल में राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण राजा महाराजाओं की छावनी हुआ करती थी जहां आज मंदिर स्थित है प्राचीन काल से इस मंदिर की पूजा अर्चना की जा रही है।टीमरवानी मंदिर समिति के सदस्य पूंजा गणावा,राम सिंह जी अमल यार,गोविंद अमलियार,राजू अमलियार,धनसिंह गणावा आदि सदस्यों ने बताया दोनों राज्यों की सीमा पर बना इस मंदिर पर श्रद्धालुओं का आना जाना हमेशा लगा रहता है।भादवी दूज के दिन बाबा रामदेव जी महाराज की ध्वजारोहण कार्यक्रम विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाता है जहां हजारों भक्तों प्रसादी ग्रहण करते हैं दीन दुखी भक्तगण भी कई संख्या में आते हैं अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर यहां पर मन्नत उतारते हैं जो यहां पर साक्षात चमत्कार का प्रमाण है।जंगलों के बीच में,वनवासी क्षेत्र में स्थित अति प्राचीन कालीन मंदिर पर प्रतिदिन श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है मंदिर के आसपास घनघोर जंगल होने के कारण सावन के महीने में अति आकर्षण का केंद्र रहता है यह मंदिर भीषण गर्मी में जब यहां श्रद्धालु आते हैं एवं रात्रि कालीन भक्तों द्वारा भजन मंडली की जाती है।जहां पर उन्हें जल की समस्या एवं विद्युतीय लाइट की समस्या और सामुदायिक भवन ना होने के कारण वर्षा ऋतु में भक्त गणों को बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है।

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