मजदूरों की मजदूरी और पलायन से संबंधी आवाज विधानसभा में गूंजी


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा(प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज(संपादक)



विधायक मुकेश पटेल ने जिले में मनरेगा में फैली अनियिमतताओं का मुददा विधानसभा में उठाया।

आलीराजपुर~[ मनीष अरोडा अरण्यपथ न्यूज] ~ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत जिले में व्याप्त अनियिमतताओं और मनमानी के खिलाफ आलीराजपुर के लोकप्रिय विधायक मुकेश पटेल ने मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में आवाज उठाई। विधायक पटेल द्वारा मजदूरों को पर्याप्त काम नहीं मिलने, मजदूरी भुगतान और पलायन के संबंध में विधानसभा के बजट सत्र में प्रश्न मुखरता के साथ प्रस्तुत किया। जिसके जवाब में सरकार संतुष्टिप्रद जवाब नहीं दे पाई।विधायक पटेल ने ये सवाल उठाया।विधानसभा में विधायक पटेल ने मप्र सरकार के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री से सवाल किया कि आलीराजपुर जिले में वित्तीय वर्ष 2021-22 में अभी तक कितने जॉबकार्डधारी परिवारों द्वारा मनरेगा में कार्य की मांग की गई? उक्त अवधि में कितने जॉबकार्डधारी परिवारों को मनरेगा में काम मिला और कितने को नहीं मिला? मनरेगा में जॉबकार्डधारी परिवारों द्वारा काम मांगने के बावजूद उन्हें काम न दिए जाने का क्या कारण है? क्या सरकार भविष्य में मनरेगा में जॉबकार्डधारी परिवारों को काम दिया जाना सुनिश्चित करेगी?
मंत्रीजी का जवाब-
विधायक पटेल के इन सवाल के जवाब में मप्र सरकार के पंचायत मंत्री महेन्द्रसिंह सिसौदिया ने विधानसभा में बताया कि आलीराजपुर जिले में वित्तीय वर्ष 2021-22 से प्रश्न दिनांक तक 1 लाख 7 हजार 138 जॉबकार्डधारी परिवारों द्वारा मनरेगा में कार्य की मांग की गई। उक्त अवधि में कार्यस्थल पर उपिस्थत 83 हजार 760 परिवारों को कार्य उपलब्ध कराया गया, शेष जॉबकार्डधारी परिवार कार्यस्थल पर उपस्थित नहीं हुए इसलिए शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता।
मजदूरों की स्थिति बेहद दयनी, हजारों की संख्या में होता है पलायन
विधायक मुकेश पटेल ने बुधवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि अलीराजपुर जिले में गरीब आदिवासी मजदूरों की स्थिति बेहद दयनीय है, प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में मजदूर प्रदेश के बडे शहरो व जिलों सहित गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेशों में जाते है। इसमें सबसे ज्यादा मजदूर गुजरात की और रूख करते है, इसकी जानकारी जिला प्रशासन और शासन को भी है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान इन मजदूरों को मतदान के लिए वापस जिले में लाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा गुजरात के विभिन्न जिलों के कलेक्टरों से भी संपर्क किया जाता है और सूची बनाकर इन जिलो से मजदूरों को बुलवाया जाता है। जो कि पलायन का पुख्ता प्रमाण है।आदिवासी मजदूरों के पलायन के लिए सरकार जिम्मेदार
विधायक पटेल ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि जिले में अब तक सरकार न तो उद्योग स्थापित करवा पाई है और न ही ग्रामीण, कस्बाई और शहरी क्षेत्रों में किसी प्रकार के विकास कार्य संचालित किए जा रहे है। जिसके कारण मजदूरों को मजबूरीवश प्रतिवर्ष पलायन कर अन्य शहरों व राज्यों में जाने के लिए विवश होना पडता है। जिसका खामियाजा उन्हें विभिन्न स्तरों पर भुगतना पडता है। न तो मजदूरों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है और न ही उनके बच्चों के लिए उचित शिक्षा उपलब्ध हो पाती है। विधायक पटेल ने कहा कि आलीराजपुर जिले के मजदूरों की इस दयनीय स्थिति के लिए पूर्ण रूप से सरकार जिम्मेदार है।सरकार आदिवासियों के हित में ले उचित निर्णय
विधायक पटेल ने कहा कि वर्तमान में कोरोना और महंगाई की विपरित परिस्थितियों में आदिवासी मजदूरों को हर दिन संघर्ष करना पड रहा है। मै सरकार से मांग करता हूं कि आदिवासी समुदाय के हित में उचित निर्णय लेते हुए आलीराजपुर जिले में अविलंब छोटे-बडे उद्योग स्थापित करवाएं, गांवों, कस्बों और शहरों में विकास कार्य लगातार जारी रखे, जिससे मजदूरी कार्य करने वाले आदिवासी समाजजनों को जिले में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके। साथ ही आदिवासी समुदाय के हित में बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, सडक, बिजली, पानी, राशन, रोजगार की दिशा में उचित निर्णय लेवे।
 

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