स्वयंभू माता मंदिर स्थान पर पांच दिवसीय मेले हुआ आरम्भ


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा(प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज(संपादक)
थांदला[निरंजन भारद्वाज/ गोपाल प्रजापत अरण्यपथ न्यूज] 
मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य अंचल झाबुआ जिले के मेघनगर जनपद क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम देवीगढ़ में चैत्र शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि से आरम्भ होकर वैशाख कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि तक लगने वाले पांच दिवसीय श्रीस्वयंभू माता मेला का गुरुवार प्रातः काल माताजी की पूजा अर्चना एवं महाआरती के बाद आरम्भ हुआ। कोरोना महामारी के दौरान दो वर्षों तक मेला स्थगित रहने के बाद इस वर्ष फिर से शुरू हुए इस मेले में भारी उत्साह देखा गया है। मेले के आयोजन के पूर्व नवरात्र में परम्परागत रूप से होने वाला अनुष्ठान एवं यज्ञ एक कर्म कांडी ब्राह्मण द्वारा सम्पन्न कराया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में देवीगढ़ ग्राम के ग्रामीणों सहित नगरीय क्षेत्र से आए लोग मौजूद थे। चैत्र मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के अवसर पर स्वयंभू माताजी के दर्शनार्थ एवं इस अवसर पर आयोजित मेले में सम्मिलित होने हेतु झाबुआ एवं आलीराजपुर जिले सहित मालवा क्षेत्र एवं गुजरात और राजस्थान प्रान्त से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का देवीगढ़ पहुंचना होता है। ग्राम पंचायत देवीगढ़ एवं मेला समिति द्वारा मेले में आने वाले श्रद्धालसवयंभूश्रीस्वयंभू दृष्टिगत रखते हुए हेतु व्यापक रूप से प्रबन्ध किए गए हैं। स्वयंभू माता का मन्दिर पद्मावती नदी के तट पर करीब 400फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। प्राचीन काल में देवी का उक्त स्थान तंत्र साधना के एक महत्वपूर्ण स्थान के रूप में जाना जाता था। नवरात्र में यहां अब भी परम्परागत रूप से अनुष्ठान किया जाता है। किंवदंती है कि ग्राम के एक ग्रामीण को नवरात्र में देवी के दर्शन हुए थे, और देवी के द्वारा पद्मावती नदी तट पर स्थित पहाड़ी के शिखर पर प्रतिमा के रूप में होने एवं प्रतिमा के उसी स्थान पर प्रतिष्ठित किए जाने हेतु निर्देश दिया गया था। उसी अनुसार ग्रामीणों ने उस स्थान पर खुदाई की, तो माताजी की प्रतिमा निकली। अतः देवी को स्वयंभू कहा जाने लगा और अपभ्रंश होकर शंभूमाता के रूप में यह स्थान सुविख्यात हुआ। बाद में देवीगढ़ ग्राम के ग्रामीणों द्वारा पहाड़ी पर एक चबूतरा बना कर वहां प्रतिमा स्थापित कर दी गई। पहाड़ी की तलहटी में एक प्राकृतिक गुफा है, जो शेर के आवास के रूप में जाना जाता है। ग्रामीण जनों का कहना है कि इस स्थान पर नवरात्र में अब भी मंदिर स्थान पर शेर आता है। देवीगढ़ ग्राम के ग्रामीणों के अनुसार स्वयंभू माता मंदिर स्थान पर मेले की शुरुआत करीब एक सदी पूर्व राजा उदय सिंह द्वारा की गई। मेले के दौरान राजा उदय सिंह स्वयं माताजी के दर्शनार्थ आया करते थे।श्री शंभूमाता मन्दिर सेवा समिति के मुख्य सेवादार अशोक अरोड़ा ने बताया कि माताजी का यह स्थान प्राचीन काल से ही धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व का स्थान रखता है। मेले के अवसर पर जिले सहित समीपवर्ती गुजरात एवं राजस्थान सीमा से लगे आंचलिक क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु जनों का यहां आना होता है। मेले में आने वाले लोगों को कोई असुविधा न हो, इस हेतु ग्राम पंचायत एवं मेला समिति द्वारा प्रतिवर्ष उचित प्रबंध किए जाते हैं।

रहें हर खबर से अपडेट अरण्यपथ न्यूज़ के साथ

ख़बर पर आपकी राय