आओ इसका पता लगाऐ आलीराजपूर कि आईडीबीआई बैंक मे क्या खेल खैला अक्षत निगम ओर उसकी टीम ने


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा(प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज(संपादक)


काले कारनामे की पूरी दास्तां केसे निपटारा हुआ लोन के सात लाख रुपए के खेल का

अगर पैसे की हेराफेरी नही हुई तो दूसरे दिन खाते मे क्यो डले पैसे 

आलीराजपुर [ मनीष अरोडा अरण्यपथ न्यूज] आलीराजपुर की आईडीबीआई बैंक में कार्यरत अक्षत निगम के द्वारा दो ग्रामीण युवकों के लोन मे 700000 लाख रुपए की हेराफेरी का मामला सामने आया है  और इस मामले को निपटाने के लिए अलीराजपुर शहर के नामी धन्ना सेठ लगे हुए हैं क्योंकि बैंक कर्मचारी अक्षत निगम उनका खास है।लगभग एक या दो साल से पीडीत इन यूवको को न्याय नही मिला तब भील सेना संगठन के सुप्रीमो शंकर बामणिया और चतर सिंह मंडलोई मीडिया साथियों के साथ बैंक पहुचे ओर प्रबंधक से बात की  तो मामला चोकाने वाला निकला जो लोन डिपार्टमेन में अक्षत निगम है उन्होने बैक के एक ओर करम्चारी मूकेश के साथ मिलकर लोन के पैसे कि हेराफेरी की वो भी खाली चेक पर साईन करवा कर मूकेश ने बेंक मे बताया कि उसने यह चेक अक्षत निगम को ला कर दिए मगर अक्षत निगम बार-बार यह कह रहा था कि उसे कोई चेक नहीं दिए जब चेक नहीं दिए तो मुकेश यह चेक किसको दिए यह बड़ा सवाल था सारे मामले को देखते हुए भील सेना संगठन के प्रमुख शंकर बामनिया पीड़ित युवकों को लेकर अलीराजपुर थाना कोतवाली पर गए वहां इन्होंने एक शिकायती आवेदन बैंक प्रबंधन और अक्षत निगम के खिलाफ दीया तब जाकर पीड़ित युवकों को इंसाफ मिला और उनको पैसे भी मिले लेकिन बड़ा सवाल यह है की शासन की महत्वकांक्षी योजना को पलीता लगा कर ऐसे भ्रष्ट बैंक कर्मचारी को हटाकर इसके खिलाफ कोई बड़ी प्रभावी कार्यवाही होगी या नहीं अलीराजपुर जिले के युवा कलेक्टर राघवेंद्र सिंह इस मामले में क्या कार्रवाई करेंगे यह बड़ा सवाल है क्योंकि आदिवासी बहुल जिला अलीराजपुर में अशिक्षित और बेरोजगार युवाओं को धोखा दिया जा रहा है लाखों रुपए की हेराफेरी के मामले मामले को लेकर बैंक प्रबंधन से बात की तो उनका कहना था के लोन में कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है मगर सीधा सीधा लग रहा था कि इस पूरे खेल में बैंक कर्मचारी अक्षत निगम और मुकेश की भूमिका है फर्जी कोटेशन बनवा कर खातों में पैसा डलवा दिया गया और बैंक मैनेजर को पता भी नहीं चला शायद हो सकता है की बैंक मैनेजर की इसमें कोई बड़ी भूमिका है अगर भील सेना संगठन आगे नहीं आती तो शायद ही पीड़ित युवकों को इंसाफ मिल पाता जब मामले की शिकायत बैंक प्रबंधन को लगा कि अगर थाने पर बात गई तो बैंक की छवि खराब होगी इसलिए रात में ही युवकों से थाने पर ले जाकर आवेदन वापस करवा लिया गया और सुबह एक डील हुई जिसमें बैंक कर्मचारी अक्षत निगम के द्वारा युवकों को भरोसा दिलाया गया के उनके लोन के सारे पैसे उनके खाते में डाल दिए जाएंगे लेकिन इस बात को ठंडा करने के लिए बकायदा सुबह कोर्ट में एक एफिडेविट बनवाया गया जिसमें युवकों से लिखवाया गया के  जो आरोप बैंक कर्मचारी पर लगे हैं वह गलत है आपको यहां बता देते है कि आईडीबीआई बैंक से आज सुबह उन दोनो युवकों के खाते में पैसा जमा कर भी दिया गया है यहां बात तो हो गई पीड़ित युवकों को इंसाफ मिलने की लेकिन अब पुलिस इस मामले में क्या कार्रवाई करेगी क्योंकि पुलिस को आवेदन देना और बाद में फिर वापस लेना यह एक खेल है पुलिस को आम जनता ने कठपुतली समझ रखा है के पहले आवेदन दो और बाद में काम हो जाए तो उसे वापस ले लो यहां एक बड़ा सवाल यह है कि अगर यह पीड़ित युवकों ने बैंक कर्मचारी के द्वारा पैसे की हेराफेरी का आवेदन दिया था यह सत्य है या गलत है इसकी पूरी जांच होना चाहिए अगर बैंक कर्मचारी दोषी है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होना चाहिए आपको इतना बता दे की कई लोग बैंक में कार्यरत अक्षत निगम के काले कारनामे की दास्तां सुनाते हैं अगर अक्षत निगम ने चेक लिए नहीं थे तो क्यों आज बैंक से युवकों के खाते में पैसे डालने पड़े।

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