पागलपन का नाटक कर 19 वर्षो से बचने वाले हत्यारे को आजीवन कारावास


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा(प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज(संपादक)


जबलपुर/मध्यप्रदेश [अरण्यपथ न्यूज़ नेटवर्क]

पागलपन का नाटक कर 19 वर्षो से बचने वाले हत्यारे को आजीवन कारावास एवं 6 लाख रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।


न्यायालय विवेक कुमार अपर सत्र न्यायाधीश,पाटन जिला जबलपुर के द्वारा आरोपी नन्दू ऊर्फ घनश्यायम सत्र प्रकरण क्रमांक 114/2020 थाना पाटन के अपराध क्रमांक 101/2004 धारा 302 भादवि में आजीवन कारावास एवम 6 लाख रुपए अर्थदंड एवं 27 आयुध अधिनियम में 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000 रूपये जुर्माने से दंडित किया गया।अभियोजन मामला संक्षेप में इस प्रकार है कि पागलपन के आधार पर 19 वर्षों से अधिक लंबित प्रकरण में आरोपी नंदू उर्फ घनश्याम को अपर सत्र न्यायालय द्वारा दोषी पाते हुए आजीवन कारावास दिया गया।इस प्रकरण में आरोपी नन्दू उर्फ घनश्याम जिला जबलपुर अपने आप को पागलपन का अभिवाक कर मर्डर के आरोप में 19 वर्षों से बच रहा था।सन 2004 में चुनाव के दौरन राजनीतिक दल में आस्था रखने वाले दो व्यक्तियों में झण्डा लगाने को लेकर हुए विवाद में आरोपी नन्दू उर्फ घनश्याम ने राइफल से गोली मारकर मृतक रविन्द्र की दिन-दहाड़े हत्या कर दी थी। जिसके लिए उसके विरूद्ध हत्या की दफा 307,302 भादवि 27 आर्म्स एक्ट में केस दर्ज हुआ था।आरोपी जो कि इलाके के एक प्रमुख वाले परिवार से संबंध रखता है।अपने आप को पागल करार देते हुए प्रकरण में कार्यवाही से वर्षों तक बचता रहा है।अपर सत्र न्यायाधीश पाटन विवेक कुमार द्वारा आरोपी को धारा 302/27 आईपीसी का अपराधी पाते हुए आजीवन कारावास से दण्डित किया। इसके अलावा 6 लाख रूपये का अर्थदण्ड भी अधिरोपित किया।न्यायाधीश द्वारा अपने निर्णय में निष्कर्ष पाते हुए टिप्पणी की कि कोई व्यक्ति कानूनी रूप से विकृत चिन्ह है या नहीं उसे साबित करने का भार उस पर है।मानसिक रूप से ग्रसित होने भर से उसे अपराध से दोषमुक्ति मिलना विधि सम्यक नहीं है। यदि ऐसा हो तो हर एक व्यक्ति मानसिक रोग का अभिभाक कर दोष के दायित्व से मुक्ति पा सकता है।अदालतों का ये पुनीत दायित्व है कि वे न्यायदान की प्रक्रिया में तथ्यों का विवेचन कर दूध का दूध पानी का पानी कर न्याय करें।न्याय की अवधारणा समाज में दोषी को दण्ड देने पर आधारित है।चाहे वह कितना ही प्रभुत्वशाली ना हो।"अभियुक्त द्वारा झूठे रूप से पागलपन का स्वांग का छिद्रण करते हुए न्यायालय ने उसे दोषी करार दिया और 19 वर्षों से न्याय की आस में भटक रहे पीड़ित परिवार को प्रतिकर दिये जाने हेतु आरोपी पर 6 लाख रूपये का अर्थदण्ड भी दिये जाने का आदेश किया।तहत मामला आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर अग्रिम अनुसंधान में लिया गया।प्रकरण की विवेचना पाटन थाना प्रभारी श्री सुरेंद्र सिंह द्वारा की गई।विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।उप संचालक अभियोजन एवं जिला अभियोजन अधिकारी अजय जैन के मार्गदर्शन में अभियोजन की ओर से संदीप जैन विशेष लोक अभियोजक के द्वारा मामले में सशक्त पैरवी की गई।संदीप जैन विशेष लोक अभियोजक के तर्को से सहमत होते हुए न्यायालय श्रीमान विवेक कुमार अपर सत्र न्यायाधीश,पाटन जिला जबलपुर के द्वारा आरोपी नन्दू ऊर्फ घनश्याम सत्र प्रकरण क्रमांक 114/2020 थाना पाटन के अपराध क्रमांक 101/2004 धारा 302 भादवि में आजीवन कारावास एवं 27 आयुध अधिनियम में 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000 रूपये जुर्माने से दंडित किया गया।

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