आचार संहिता की आड़ में निरस्त हुआ रावण का मेला; नहीं थी कोई प्रशासनिक पाबंदी


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा(प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज(संपादक)
  
आचार संहिता की आड़ में निरस्त हुआ रावण का मेला; नहीं थी कोई प्रशासनिक पाबंदी 

झाबुआ/मध्यप्रदेश। जिले के थांदला में पिछले छः दशक से भी अधिक वर्षों से अनवरत रूप से भरने वाला तीन दिवसीय विजया दशमी मवेशी मेला बनाम रावण का मेला इस वर्ष नहीं भरा,जबकि रावण दहन कार्यक्रम प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी आयोजित हुआ।स्थानीय नगर परिषद के अनुसार विधानसभा निर्वाचन के दौरान लागू आचार संहिता के चलते मेला निरस्त किया गया है,किंतु ऐसा लगता है कि इसके नेपथ्य में कोई अन्य वजह है,जिसके चलते धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व का यह परंपरागत मेला निरस्त कर दिया गया है।  
   
थांदला में दशहरा पर भरने वाला उक्त विजया दशमी मवेशी मेला जिसे रावण का मेला के नाम से जाना जाता है,यह मेला जिले में विभिन्न अवसरों पर भरने वाले मेलों में अपना विशिष्ठ स्थान रखता है,ओर इस मेले के लिए संपूर्ण क्षैत्र के निवासी बड़ी उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं,किंतु इस वर्ष यह मेला आचार संहिता के नाम पर निरस्त कर दिया गया।थांदला के दशहरा मैदान पर रावण का विशाल पुतला भी खड़ा किया गया,वहां आतिशबाजी भी हुई,दोपहर से ही लोगों की अच्छी खासी भीड़ भी जुट गई,फिर भी नगर परिषद के सीएमओ यही राग अलापते रहे कि मेला भरता ओर यदि कोई हुड़दंग हो जाती तो कौन जिम्मेदारी लेता।
  
प्रभारी सीएमओ नगर परिषद थांदला शीतल जैन से जब परंपरागत  विजयादशमी मवेशी मेला निरस्त किए जाने के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि विधानसभा निर्वाचन के दौरान लागू आचार संहिता के चलते मेला निरस्त किया गया है।पर एसडीएम थांदला ने तो ऐसा कहा है कि इस तरह के परंपरागत धार्मिक आयोजन पूर्व वत रूप से चलते रहेंगे,बशर्ते उसमें कोई केंडिडेट आचार संहिता का उल्लंघन न करे।एसडीएम की इस बात के परिप्रेक्ष्य में सीएमओ ने कहा कि आचार संहिता मुख्य वजह है,ओर इसके अतिरिक्त भी अनेक कारण हैं,जिनके चलते मेला निरस्त किया गया है।सीएमओ ने कहा परिषद कर्मचारियों को तीन माह से सेलरी नहीं मिली है।तो क्या धन का अभाव मेला निरस्ति का कारण है? सीएमओ ने कहा यह कोई वजह नहीं है,ओर भी बहुत से कारण हैं।सीएमओ ने एक तरफ जहां कहा कि मेले का तीन दिवसीय आयोजन होता है,जिसमें बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं,ओर यदि कोई गड़बड़ी हो जाती तो जिम्मेदारी तो परिषद की ही होती,वहीं दूसरी तरफ उन्होंने यह भी कहा कि विजयादशमी पर मेला ही आयोजित नहीं हुआ,बाकी सब कार्यक्रम तो हो ही रहे हैं,ओर भारी संख्या में लोगों की भीड़ भी दशहरा मैदान पर इकट्ठा हो गई है।तो मेला निरस्त किए जाने के बावजूद भी जब लोग तो बड़ी संख्या में पहुंचे ही हैं,ओर उनका मेले में आना भी निश्चित ही था,फिर मेला निरस्त किए जाने का ही आखिर क्या औचित्य है? 
ऐसा पूछे जाने पर सीएमओ ने फिर दोहराया कि कई वजह है,पर आचार संहिता खास वजह है। 

किंतु मेला निरस्त किए जाने के नगर परिषद के निर्णय को लेकर जब अनुविभागीय दंडाधिकारी एवं रिटर्निंग अधिकारी विधानसभा क्षेत्र थांदला,तरूण जैन से बात की गई तो उन्होंने इस संवाददाता को कहा कि इस तरह के परंपरागत धार्मिक आयोजन पूर्व वत रूप से चलते रहेंगे,बशर्ते उसमें कोई केंडिडेट आचार संहिता का उल्लंघन न करे।नगर परिषद स्वायत्त संस्था है,ओर इस तरह के धार्मिक आयोजन करने या नहीं करने संबंधी डिसिजन लेने में वह स्वतंत्र है,फिर वह हमसे परमिशन क्यों ले रहे हैं? वह स्वायत्त संस्था है।

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