अति प्राचीन कालिका माता के दर्शन मात्र से श्रद्धांलुओ कि मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। प्रतिदिन सुर्य देवता अपनी किरणों के माध्यम से ग‌र्भ गृह में मां कालिका का करते हैं चरण स्पर्श


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा (प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज (संपादक)



कानवन शंकर राठौर की रिपोर्ट
 बस स्टेंड पर स्थित अति प्राचीन मां कालिका माता मंदिर पर नौ रात्रि पर्व पर दर्शानिर्थी को विशेष लाभ के साथ मनोवांछित फल प्राप्त होता है। किंवदंती के अनुसार विशालकाय जंगल में कण्व ऋषि के तप के दौरान  ग्राम कुमेडी से गंगा नदी की प्रवाहना (जलधारा) तपो भूमि के उत्तर दिशा से गुजरते हुए ग्राम बीड़ के चामला नदी में अपने अस्तित्व के साथ बहते हुए मिली । तपोवन के पुर्व या बाद कालिका माता की अति चमत्कार मुर्ति शक्ति मां भगवान शिव के साथ विराजमान थी और हैं। इस मंदिर के जिर्णोद्धार शिलालेख के अनुसार  सन् 1953 में डाक्टर परमानन्द जी परमार के द्वारा किया गया । ग्राम कानवन के अतिरिक्त क्षैत्रिय व राजनैतिक दलों की हस्तियां और श्रद्धांलुओ के दर्शन लाभ हेतु आवागमन होता रहता है। कालिका माता मंदिर के पुजारी  ओम प्रकाश शर्मा के अनुसार माता रानी शिव बाबा भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। वर्तमान के कोराना महामारी के चलते शासन के आदेश पर नव रात्रि पर्व शोसल‌ डिस्टेंस में मनाया जायेगा व सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं मनाया जायेगा।

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