मामा बालेश्वर दयाल की 22वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धालुओंने मामाजी की प्रतिमा के दर्शन किए


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा(प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज(संपादक)

बामनिया
मध्यप्रदेश सहित राजस्थान एवं गुजरात राज्य के आदिवासी समुदाय के श्रद्धा के प्रतीक,पूर्व राज्य सभा सदस्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं पत्रकार मामा बालेश्वर दयाल की 22वीं पुण्यतिथि पर  जिले के बामनिया स्थित मामाजी के आश्रम पर इस बरस भी श्रद्धा का ऐसा ही सैलाब उमड़ते हुए देखा गया।जैसा कि दो दशक से भी अधिक समय से देखा जाता रहा है।कोरोना का भय और प्रशासन की सख्ती भी श्रद्धा की बाढ़ को नहीं रौक पाई.दूरस्थ आदिवासी अंचलों से बड़ी संख्या में आए श्रद्धालुओंने आश्रम में स्थित मामाजी की प्रतिमा के दर्शन भी किये,फूल भी चढाए,यथाशक्ति भेंट भी की और नतमस्तक हो कर मन्नतें भी मांगी और हाँ जिन लोगों की मन्नत पूरी हो गई उन लोगों ने मन्नत उतारी भी।यह सिलसिला 25दिसम्बर की शाम से ही शुरू हो गया था जो अगले दिन शाम तक जारी रहा. सामाजिक समरसता एवं सामाजिक उत्थान मे जिन मामा बालेश्वर दयाल का बहुत बड़ा योगदान रहा उनकी समाधि पर आसानी से पहुंचने लायक रास्ता भी शासन प्रशासन के नुमाइंदे 22वर्षों में भी नहीं बना पाये. इधर जिस समाजवादी आंदोलन को मामा बालेश्वर दयाल ने अपने समग्र जीवन की आहुति देकर सींचा था वह कुछ तो उनके जीवन काल मे ही उजड़ने लगा था किंतु बाद मे तो अवसरवादी भ्रष्ट नेताओं ने उसे खंड खंड कर दिया. मामाजी  के निधन के बाद भी ऐसे राजनेता बामनिया आते हैं और मामाजी की तपस्या को भुनाने का अवसर हड़पने की कौशिष करते देखे सुने जाते हैं।


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