डॉ.उमेशचंद्र शर्मा(प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज(संपादक)
जिला मीडिया प्रभारी अभियोजन सुश्री सुरज वैरागी,झाबुआ द्वारा बताया गया कि न्यायालय राजकुमार चौहान न्यायिक मजिस्टेट, प्रथम श्रेणी,झाबुआ द्वारा अभियुक्तगण राहुल,राजेन्द्र ऊर्फ राजु और मो.सलीम खान को आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 7 में 01-01 वर्ष का कठोर कारावास एवं 1000-1000 रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया।शासन की ओर से प्रकरण में संचालन श्रीमति सिमी रत्नम सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी,जिला झाबुआ द्वारा किया गया।घटना दिनांक 05.09.2015 को फरियादी कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी सवेसिंग गामड़ द्वारा थाना कोतवाली झाबुआ को एक आवेदन पत्र प्रस्तुत किया कि अनुविभागीय अधिकारी(राजस्व)जिला झाबुआ द्वारा मोबाईल पर बताया कि ग्राम रेतालुंजा ग्रामीण जनों के द्वारा वाहन मिनी ट्रक को केरोसीन ले जाते हुए पकड़ लिया जिसकी जांच हेतु आदेश पर वह ग्राम रेतालंजा पहुंचे, जांच में पाया कि ग्राम रेतालुंजा के ग्राम वासु के द्वारा मिनी ट्रक जी.जे.09वाय.06325 को पत्थर रखकर रोका गया वाहन में 10 लोहे के ड्रम रखे हुए पाये गए जिन्हें चेक करने पर उनमें निला केरोसिन भरा हुआ पाया गया प्रत्येक ड्रम में नापने पर 200 लीटर होकर कुल 2000 लीटर केरोसिन मौके पर पाया गया।मौके पर से उपस्थित वाहन ड्राईवर राहुल पिता कन्नुबाई से पूछताछ करने पर बताया कि उक्त केरोसिन शासकीय उचित मुल्य की दुकान रेतालुंजा से लाए थे तथा उक्त केरोसिन अनाधिकृत रूप से गुजरात ले जा रहे थे।सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत होने पर मौके पर से उक्त 10 ड्रम केरोसिन मय वाहन जप्त किया गया तथा पुलिस थाना कोतवाली द्वारा आरोपीगण के विरूद्ध प्रथम सुचना रिपोर्ट दर्ज कर अनुसंधान के दौरान आए साक्ष्य के अनुसार जप्तशुदा केरोसिन को अवैघ रूप से अफरातफरी करने में संलिप्त आरोपी राहुल पिता कन्नुभाई डांगी वाहन चालक,राजेन्द्र पिता कन्नु डांगी,सेल्समेन एवं मोहम्मद सलीम खान पिता गनी मोहम्मद, प्रबंधक के विरूद्ध अनुसंधान पुर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया।विचारण के दौरान आरोपीगण द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के केरोसिन बाजार में विक्रय हेतु प्रयास के अपराध में दोषी पाते हुए न्यायालय राजकुमार चौहान न्यायिक मजिस्टेट,प्रथम श्रेणी,जिला झाबुआ द्वारा अभियुक्तगण राहुल,वाहन चालक, राजेन्द्र ऊर्फ राजु, सेल्समेन और मो.सलीम खान,प्रबंधक को आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 7 में 01-01 वर्ष का कारावास एवं 1000-1000 रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया।
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