राम की कथा जीना और कृष्ण की कथा मृत्यु का संदेश देती है -भागवत कथा में चौथे दिन पंडित पुष्पराज आचार्य ने कहा


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा(प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज(संपादक)

रतलाम ~[जगदीश राठौर अरण्यपथ न्यूज़ ]~ पुण्य पवित्र भाद्रपद मास में चल रही भागवत के चतुर्थ दिवस शनिवार परीपूर्ण परमपिता परमेश्वर भगवान राम और कृष्ण का जन्म हुआ।पंडित पुष्पराज आचार्य ने बताया राम कृष्ण दोनों एक हैं अंतर नहीं निमेष इनके नयन गंभीर है उनके चपल विशेष भगवान राम व कृष्ण दोनों ही परिपूर्ण अवतार है । दोनों 16 कलाओं में जन्मैं हैं अंतर तो बस इतना है कि राम ने 16 कलाओं में सिर्फ 12 कलाओं को प्रकट किया 4 को छुपाए रखा जबकि कृष्ण 16 कलाओं में जन्मे और 16 कलाओं को प्रकट किया
इसलिए भगवान राम ने कभी यह नहीं कहा कि मैं भगवान हूं मेरी शरण में आओ उन्होंने कर्तव्य कर्म को बढ़ावा दिया और खुद को एक मानव और मनुष्य के भांति बनाए रखा ताकि मनुष्य को कर्तव्य कर्म और मर्यादा का पाठ पढ़ा सकें।भगवान कृष्ण ने कभी यह नहीं छुपाया कि मैं ईश्वर नहीं हूं हर जगह कहा कि मैं भगवान हूं मेरी शरण में आ जाओ ताकि मृत्यु का संदेश तुम्हें मिल जाए और भगवान की याद बनी रहे भगवान राम की कथा जीना सिखाऔर भगवान कृष्ण की कथा में मृत्यु का संदेश देती है।शनिवार को भागवत कथा में राम और कृष्ण का जन्म बड़ी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

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