महिलाओं द्वारा दशा माता का पर्व धूमधाम से मनाया


डॉ.उमेशचंद्र शर्मा(प्रधान संपादक)
निरंजन भारद्वाज(संपादक)


रात्रि से ही नगर की महिलाएं पीपल के वृक्ष की पूजा कर घर की दशा स्थिति को सुख समृद्ध रखने हेतु विशेष प्राथना करती है।

थांदला~[गोपाल प्रजापत अरण्यपथ न्यूज] ~ आज नगर की महिलाओं द्वारा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दशमी को दशा माता का पूजन एवं व्रत किया गया और दशा माता की कथा( दशा माता की कहानी) सुनी गई।आज प्रातःसे ही स्त्रियां पूजन की सामग्री लेकर पूजा करती दिखाई दी सर्वप्रथम दीवार पर साथिया (स्वत्विक) बनाते हैं।फिर मेहंदी और कुमकुम से दस दस बिंदिया दीवार पर ही लगाते हैं।फिर पहले स्वास्तिक के रूप में गणपति जी का फिर दस बिंदिओं के रूप में दशा माता की रोली, मोली,चावल,सुपारी,धूप,दीप,अगरबत्ती व नैवेद्य से पूजन कर हैं।पूजन के पश्चात प्रतिदिन दशा माता की कथा कहने व सुनने का विधान है।इस दिन एक समय भोजन करके व्रत रखने का विधान है।दशा माता का पूजन प्रत्येक स्त्री सुहागिन यह पूजन एवं व्रत घर की दशा स्थिति को सुखी समृद्ध रखने हेतु किया जाता है।पूजन में एक विशेष बात होती है की एक हल्दी में रंगा दस गांठे में लगा हुआ धागा होता है। जिसको दशा माता की बेल कहते हैं इस बेल को पूजन के समय दशा माता को चढ़ा कर पुनः ले लेते हैं। इसको गले में धारण करने का विधान है।इस वर्ष धारण किया गया धागा अगले वर्ष उतार कर पूजा करके पुनः नई बेल धारण करते हैं।


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